मंगलवार, 28 अगस्त 2007

अगाध मित्रता के नाम. . .

गरज के लिए दोस्ती का नाता मत जोड़ना
जब चाहा सहजता से ऐसे ही मत तोड़ना

रिश्ता नहीं खून का, कौड़ीमोल पर नहीं
भावनाओं का दाम भी न लगा यों कहीं

जीवन पथ पर नया नाता जुड़ता जाएगा
बिन सोचे भर-भरके प्यार झोली में आएगा

हाथ आगे कर यार, कोई शरम की बात नहीं
पर व्यवहार, लेन-देन बीच कभी आए नहीं

मिलेगा उतना लेते रहो, जो बने देते ही रहो
फिर माँग लो जब हाथ अपने खाली पाओ

समाधान में है सुलह, सिर्फ़ इतना समझ लो
रिश्ता कोई बोझ नहीं, दिल से इसे जान लो

विश्वास के चार बोल, और कुछ नहीं माँगता
प्यार यों ही बना रहे, बस इतना मैं जानता