बुधवार, 2 जनवरी 2008


८-९ सालों से जीवन में ऐसा बदलाव आया की सोचती हूँ मैं कहाँ की कहाँ पहुँच गई हूँ। ज़िंदगी को नए आयाम मिले हैं। जबसे अभि-अनु की शुरुआत हुई तबसे वे मेरे दिल के बहुत करीब हैं। उनके साथ हर पल बहुत ही खुशी में जी रही हूँ। लिखने पढ़ने के साथ अभि-अनु का काम करने में बहुत ही उत्साह-सा महसूस करती हूँ। उनकी बदौलत जाने कितने नए लोग मिले, पहचान बढ़ी। साहित्य के विविध रुपों से पहचान हुई जो शायद ना पहले हुई थी ना ही उनके बिना कभी बाद में होती। उन रुपों को कभी-कभी काग़ज़ पर उतारने की कोशिश करती हूँ।
१ जनवरी को अब अनु ने आठवे साल में कदम रखा है। उस खुशी में ये चार शब्द....

अनुभूति को जन्मदिन की हार्दिक बधाई

अनुभूति हमारी आठवे साल में आई

हर हफ्ते कविताओं का इसमें खज़ाना
काव्य के हर पहलू से परिचय कराना
आकर्षक लगती हर रूप में जब आई
अनुभूति हमारी आठवे साल में आई

काव्य संगम हो, चाहे हो किशोर कोना
नई हवा, अंजुमन, चाहे हो पाठकनामा
जग भर बसे कवियों को ढूँढ ये लाई
अनुभूति हमारी आठवे साल में आई

दिन दूनी रात चौगुनी अनु फले फूले
सुंदर रचनाओं की हमें सौगात मिले
कविता लिखने की स्फूर्ति सबने पाई
अनुभूती हमारी आठवे साल में आई

दीपिका जोशी 'संध्या'

1 comments:

नरेंद्र गोळे ने कहा…

अनु का सिर्फ रूपही देखा था मैने। अनु आपकी थी, यह मुझे पताही नही था। मुझे बस अच्छी लगती थी। आपकी अनु जुगजुग जीए। फुले फले ।